आखिरी वर्ल्ड कप चैस मुकाबले में आर प्रज्ञानंद ने दिखाई मैग्नस कार्लसन से टक्कर….

फाइनल में आर प्रज्ञानंद ने जमकर दी मैग्नस कार्लसन को टक्कर…..

फाइनल में आर प्रज्ञानंद ने विशेषज्ञ मैग्नस कार्लसन के साथ एक महत्वपूर्ण मुकाबला दिखाया। 35 चालों के बाद, पहले गेम में प्रज्ञानंद ने कार्लसन को बाजी मारी और ड्रॉ पर पहुंचे। इससे पहले कि पहला गेम समाप्त हो, प्रज्ञानंद ने कार्लसन को हराने का प्रयास किया था, लेकिन यह संभव नहीं हो सका।

कार्लसन को अगले खेल में एक अवसर मिलेगा जिसमें उनका एक्स्पीरियंस होगा। प्रज्ञानंद पहले ही कार्लसन को हरा चुके हैं और इस बार भी उनकी उम्मीद है कि वे उसे परास्त कर सकें। हालांकि, कार्लसन को परास्त करना आसान नहीं होगा। इसके बावजूद, प्रज्ञानंद ने पहले गेम में दिखाया कि वह कितनी दृढ़ता से टक्कर दे सकते हैं।

यह फाइनल खेल के बाद, भारत के युवा तारे ने यह दिखाया कि उन्हें इस महत्वपूर्ण मुकाबले में कोई कठिनाई नहीं थी। प्रज्ञानंद ने कार्लसन के साथ जोरदार खेल दिखाया और 18 साल की उम्र में उन्होंने विश्व नंबर-1 को ड्रॉ पर रोक दिया। सफेद मोहरों के साथ, प्रज्ञानंद ने कार्लसन को कठिनाई मंय डाल दिया और 35 चालों के बाद ड्रॉ खेला जिससे उन्होंने खुद को साबित किया।

कार्लसन ने बताया कि वे आगामी खेल में एक्सट्रा एडवांटेज रखेंगे। प्रज्ञानंद ने पहले ही कार्लसन को हराया है और उनकी उम्मीद है कि वे उसे एक बार फिर हरा सकें। हालांकि, कार्लसन को हराना आसान नहीं होगा। इसके बावजूद, प्रज्ञानंद ने पहले गेम में दिखाया है कि वे कितनी मजबूती से टक्कर दे सकते हैं।

इस शानदार खेल के बाद, भारत के युवा तारे ने बताया कि उन्हें इस मुकाबले में किसी प्रकार की मुश्किल नहीं हुई। प्रज्ञानंद ने कार्लसन को सख्ती से टक्कर दी है और उनके बयानों से यह स्पष्ट होता है कि वे उन्हें परास्त करने के लिए तैयार हैं। कार्लसन ने बताया कि आगामी खेल में कड़ी टक्कर होगी।

उम्मीद हैं कि प्रज्ञानंद मजबूत खेल दिखाएंगे और वे उनके चुनौती का सामना करने के लिए तैयार होंगे। कार्लसन का स्वास्थ्य खराब होने के कारण उन्हें कुछ परेशानी हो रही है, लेकिन उनकी मनोबल बिल्कुल ऊँची है।

फाइनल में पहुंचने वाले इस इतिहासिक मोमेंट के बाद, प्रज्ञानंद ने सेमीफाइनल में विश्व नंबर-3 फाबियानो कारुआना को 3.5-2.5 से हराया था और फाइनल में जगह बनाई थी। पहले भारतीय खिलाड़ियों में सिर्फ विश्वनाथ आनंद ही इस टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंचे थे।