ISRO ने एक नयी तस्वीर भेजी, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान के बारे में जानकारी लीजिये…
23 अगस्त को शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग की थी। इसके बाद, लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान ने चंद्रमा की सतह का अध्ययन करने के लिए अपना मिशन आरंभ किया है।
आज, इसरो ने जो नयी छवि जारी की है, वह चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर के कैमरे द्वारा कैद की गई है। इस छवि में लैंडर विक्रम को चंद्रमा की सतह पर स्पष्ट दिखाया गया है। लैंडर विक्रम और रोवर अब 14 दिनों तक चंद्रमा की सतह का अध्ययन करेंगे और उपर्युक्त डेटा को इसरो के कमांड सेंटर में भेजेंगे।
चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर पिछले 4 सालों से चंद्र की 100 किलोमीटर × 100 किलोमीटर की मांडली में चक्कर लगाता रहा है। इसका कैमरा चंद्रमा की सतह पर मौजूद लैंडर की छवियों को 100 किलोमीटर की दूरी से हाई रिज़ॉल्यूशन से कैद करता है। इसरो के अनुसार, यह कैमरा अबतक चंद्र पर भेजे गए कैमरों में सबसे उत्तम है।
ये छवियाँ भी स्पष्ट दिखाती हैं कि लैंडर विक्रम ने अपनी लैंडिंग की जगह पर समतल भूमि का चयन किया है, जिससे लैंडर और रोवर को चंद्रमा की सतह और उसके वातावरण की वैज्ञानिक अनुसंधान में सहायक हो सकता है।
आने वाले 14 दिन महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि चंद्रयान-3 के लिए चंद्रमा पर एक चंद्र दिवस धरती के 14 दिन के समान होता है। रोवर प्रज्ञान चंद्रमा की सतह की रासायनिक संरचना, मिट्टी, और चट्टानों की जांच करेगा।
इसके दौरान, यह चंद्रमा की सतह के आयाम और इलेक्ट्रॉनिक गुणों की मापन करेगा। रोवर अपने कार्यक्षेत्र में लैंडर के संपर्क में रहेगा और उसके द्वारा जुटाए गए डेटा को इसरो के मिशन कमांड सेंटर में भेजेगा।