बाजार में बिक रहे हैं नकली रुद्राक्ष, जानें कैसे करें असली रुद्राक्ष की पहचान…

कैसे करें असली और नकली रुद्राक्ष की पहचान, जानिए…..

रुद्राक्ष एक अमूल्य मोती है जिसे धारण करके या जिसका उपयोग करके व्यक्ति अमोघ फलों को प्राप्त करता है। भगवान शिव का स्वरूप रुद्राक्ष जीवन को सार्थक कर देता है इसे अपनाकर सभी कल्याणमय जीवन को प्राप्त करते हैं।रुद्राक्ष की अनेक प्रजातियां तथा विभिन्न प्रकार उपल्बध हैं, परंतु रुद्राक्ष की सही पहचान कर पाना एक कठिन कार्य है।

आजकल बाजार में सभी असली रुद्राक्ष को उपल्बध कराने की बात कहते हैं किंतु इस कथन में कितनी सच्चाई है इस बात का अंदाजा लगा पाना एक मुश्किल काम है। लालची लोग रुद्राक्ष पर अनेक धारियां बनाकर उन्हें बारह मुखी या इक्कीस मुखी रुद्राक्ष कहकर बेच देते हैं।

कभी-कभी दो रुद्राक्ष को जोड़कर एक रुद्राक्ष जैसे गौरी शंकर या त्रिजुटी रुद्राक्ष तैयार कर दिए जाता हैं। इसके अतिरिक्त उन्हें भारी करने के लिए उसमें सीसा या पारा भी डाल दिया जाता है, तथा कुछ रुद्राक्षों में हम सर्प, त्रिशुल जैसी आकृतियां भी बना दी जाती हैं।

रुद्राक्ष के समान ही एक अन्य फल होता है जिसे भद्राक्ष कहा जाता है, और यह रुद्राक्ष के जैसा ही दिखाई देता है। इसलिए कुछ लोग रुद्राक्ष के स्थान पर इसे भी नकली रुद्राक्ष के रुप में बेचते हैं। भद्राक्ष दिखता तो रुद्राक्ष की भांति ही है किंतु इसमें रुद्राक्ष जैसे गुण नहीं होते।

असली रुद्राक्ष कहाँ मिलता है ?

असली रुद्राक्ष तो आपको पेड़ों पर ही मिल सकता है। रुद्राक्ष के पेड़ भारत के हिमालय प्रदेशों में अधिक पाए जाते हैं। यहाँ आपको वन्य क्षेत्रों में रुद्राक्ष के पेड़ दिखेंगे जहाँ से आप असली रुद्राक्ष प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा भारत के असम, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, बंगाल, हरिद्वार, गढ़वाल, देहरादून के जंगली क्षेत्रों में और दक्षिण भारत के कर्णाटक, मैसूर, तथा नीलगिरी के पर्वतों पर भी रुद्राक्ष के वृक्ष देखने को मिलते हैं।

असली रुद्राक्ष की पहचान के कुछ तरीके हैं जो इस प्रकार हैं।

  1. एक कटोरे में पानी उबालें उसके बाद इस उबलते हुए पानी में एक-दो मिनट के लिए रूद्राक्ष डाल दें। उसके बाद कटोरे को आंच से उतारकर ढक दें। दो चार मिनट बाद ढक्कन हटा कर रूद्राक्ष निकालकर ध्यान से देखें। यदि रुद्राक्ष का रंग न निकले या उस पर किसी प्रकार का कोई असर न हो, तो वह असली रुद्राक्ष होगा।
  2. यदि रूद्राक्ष में किसी प्रकार का जोड़ लगाया होगा तो वह फट जाएगा। दो रूद्राक्षों को चिपकाकर यदि गौरीशंकर रूद्राक्ष बनाया हो या शिवलिंग, सांप आदि चिपकाए होंगे तो वह अलग हो जाएंगे।
  3. यदि जिन रूद्राक्षों में सोल्यूशन भरकर उनके मुख बंद करे होंगे तो उनके मुंह खुल जाएंगे। यदि रूद्राक्ष प्राकृतिक तौर पर फटा होगा तो थोड़ा और फट जाएगा। बेर की गुठली होगी तो नर्म पड़ जाएगी, परन्तु यदि असली रुद्राक्ष हुआ तो उसमे अधिक अंतर नहीं पड़ेगा। यदि रूद्राक्ष पर से रंग उतारना हो तो उसे नमक मिले पानी में डालकर गर्म करें उसका रंग हल्का पड़ जाएगा। वैसे करने से रूद्राक्ष को नुकसान नहीं होता है।
  4. इसके आलावा यदि आप असली रुद्राक्ष को पानी में डाल दें अगर वह डूब जाता है तो असली रुद्राक्ष नहीं नकली। लेकिन यह जांच अच्छी नहीं मानी जाती है क्योंकि रुद्राक्ष के डूबने या तैरने की क्षमता उसके घनत्व एवं कच्चे या पके होने पर निर्भर करती है और रुद्राक्ष मेटल या किसी अन्य भारी चीज से भी बना रुद्राक्ष भी पानी में डूब जाता है। शीशम की लकड़ी के बने रूद्राक्ष आसानी से पानी में डूब जाते हैं।
  5. असली रुद्राक्ष को सुई से कुदेरने पर रेशा निकले तो असली और कोई और रसायन निकले तो नकली हैं।
  6. नकली रुद्राक्ष की धारिया सीधी होगी पर असली रुद्राक्ष की धारिया आढी टेडी होगी।
  7. यदि असली रुद्राक्ष को सरसों के तेल मे डालें तो रुद्राक्ष अपने रंग से गहरा दिखने लगे तो समझो वो एक दम असली रुद्राक्ष है।
  8. यदि रुद्राक्ष को काटने पर उसके भीतर उतने ही घेर दिखाई दें जितने की बाहर हैं तो यह असली रुद्राक्ष होगा। यह परीक्षण सही माना जाता है, किंतु इसका नकारात्मक पहलू यह है कि रुद्राक्ष नष्ट और ख़राब हो जाता है।
  9. यदि शुद्ध सरसों के तेल में रूद्राक्ष को डालकर 10 मिनट तक गर्म किया जाये तो वह अधिक चमकदार हो जायेगा और यदि नकली है तो वह धूमिल हो जायेगा।
  10. गहरे रंग के रूद्राक्ष को अच्छा माना जाता है और हल्के रंग वाले को नहीं। असलियत में रूद्राक्ष का छिलका उतारने के बाद उस पर रंग चढ़ाया जाता है। बाजार में मिलने वाली रूद्राक्ष की मालाओं को पिरोने के बाद पीले रंग से रंगा जाता है। रंग कम होने से कभी-कभी हल्का रह जाता है। काले और गहरे भूरे रंग के दिखने वाले रूद्राक्ष इस्तेमाल किए हुए होते हैं, ऐसा रूद्राक्ष के तेल या पसीने के संपर्क में आने से होता है।
  11. रुद्राक्ष के दानों को तेज धूप में काफी समय तक रखने से अगर रुद्राक्ष पर दरार न आए या वह टूटे नहीं तो असली रुद्राक्ष माने जाते हैं।