नोटबंदी पर केंद्र सरकार का फैसला सही, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को दी क्लीन चिट…

वित्तीय निर्णय लेने की प्रक्रिया में न्यायिक हस्तक्षेप की सीमाएँ हैं। ध्यान दें कि विमुद्रीकरण को पूरी तरह से अमान्य नहीं किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि आवेदन में 9 मुद्दे उठाए गए थे, जिनमें से 6 मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट ने विचार किया है।

सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में 500 रुपये और 1,000 रुपये के नोटों को बंद करने के केंद्र सरकार के फैसले को सोमवार को बरकरार रखा। मोदी सरकार की नोटबंदी को चुनौती देने वाली 58 आवेदन पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया। जस्टिस अब्दुल नजीर की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ ने कहा कि वित्तीय फैसले नहीं बदले जा सकते।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नोटबंदी से पहले केंद्र और आरबीआई के बीच विचार-विमर्श हुआ था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “हमारा विचार है कि इस योजना को लाने के लिए एक उचित ठोस प्रयास किया गया था और यह कि नोटबंदी आनुपातिकता के सिद्धांत का उल्लंघन नहीं करती थी।”

वहीं, जस्टिस बी.वी. नागराथाना ने कहा, मैं अपने साथी जजों से सहमत हूं लेकिन मेरे तर्क अलग हैं। मैंने सभी 6 प्रश्नों के अलग-अलग उत्तर दिए हैं। मैंने आरबीआई और उसके कानून और देश की आर्थिक नीतियों के महत्व का उल्लेख किया। भारतीय रिजर्व बैंक भारतीय अर्थव्यवस्था की दीवार है। मैंने दुनिया भर में ऐसे विमुद्रीकरण अध्ययनों के इतिहास का हवाला दिया है। हम आर्थिक या वित्तीय निर्णयों के गुणों और दोषों का पता नहीं लगाना चाहते हैं।

छह साल पहले अचानक 500 और 1000 रुपये के नोट बंद करने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट आज अहम फैसला सुनाने जा रहा है। मोदी सरकार द्वारा नोटबंदी के ऐलान के बाद पूरे देश में बवाल मच गया था। नोटबंदी को चुनौती देने वाली 58 आवेदन सुप्रीम कोर्ट में दायर की गईं। फैसला 7 दिसंबर के लिए सुरक्षित रखा गया था। इस फैसले की घोषणा आज की गई।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को 2016 में 1,000 रुपये और 500 रुपये के नोटों को बंद करने के फैसले से संबंधित रिकॉर्ड जमा करने का निर्देश दिया था। केंद्र के 2016 के फैसले को चुनौती देने वाली आवेदन पर अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए, न्यायमूर्ति एस. ए. नजीर की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने आरबीआई के वकील अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और आवेदन कर्ताओं के वकील की दलीलें सुनीं। इसमें वरिष्ठ अधिवक्ता पी. चिदंबरम और श्याम दिमवान भी शामिल थे। इस बेंच में जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एएस बोपन्ना, वी रामासुब्रमण्यम और बीवी नागराथन शामिल हैं।

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